Tuesday, July 26, 2011

Dreams


Not everyone dreams

The fire that sleeps

in grains of lifeless gunpowder

does not dream

Dreams grow

in hearts of courage

They spring

when sleep is merciful

Everyone

that is why

dreams

हिम्मत न हारो


होकर यूं न मायूस शाम से न ढलते रहिए,
जिंदगी भोर है सूरज की तरह निकलते रहिए|
एक ही पाँव पर ठहरोगे तो थक जाओगे,
धीरे-धीरे ही सही मगर राह पर चलते रहिए|
थक गए तो सुस्ता लो, लेकिन हिम्मत न हारो,
भूल-भुलैया है ये जीवन
पगडंडियाँ जिसकी हमे पार करनी है
कई असफल तब लौट गए
पार होते गए जो आगे बढते गए
धीमी रफ्तार तो क्या
मंजिल को एक दिन पाओगे |
सफलता छिपी असफलता में ही,
जैसे शंका के बादल में आशा की चमक
नाप सकोगे क्या इतनी दूरी
दूर दिखती है लेकिन मुमकिन है यह नजदीक हो
डटे रहो चाहे कितनी भी मुश्किल हो
चाहे हालात कितने भी बुरे हो,
लेकिन हिम्मत न हारो, डटे रहो

YOGA

योग

देखिए, आज की हो या कल की हो, व्यक्ति का शरीर जब से बना है उस शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें प्रकृति के कुछ नियमों का पालन करना पडता है। योग प्रकृति से जुडी हुई वो सुंदरतम् विधा है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है। अत: योग एक जीवन जीने की कला, योग एक जीवन जीने की विधा, योग एक वो परिकल्प जिससे हम अपने अस्तित्व, अपनी चेतना से जुडते हैं गहरे। आज के परिपेक्ष्य में भी उतनी ही आवश्यकता है योग की जितनी सदियों पहले थी। मायने, व्यक्ति का शरीर, व्यक्ति का मन, व्यक्ति का चित, व्यक्ति की चेतना का स्वरूप तो एक ही जैसा बना रहता है बाहर की परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। और बदलती हुई परिस्थितियों के परिवेश में यदि देखा जाए योग को तो वो अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। आज जो चारों तरफ प्रदूषण है, जो आज की प्रतियोगिताएं हैं, प्रतिस्पर्धाएं हैं, उन प्रतियोगिताओं और प्रतिस्पर्धाओं में जो व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है तो उसके लिए भी योग एक बहुत सशक्त माध्यम है जो कि आंतरिक उर्जा प्रदान करता है।

Friday, April 9, 2010

Dr.Ambedkar

Bhimrao Ramji Ambedkar (14 April 18916 December 1956), popularly known as Babasaheb Ambedkar, was an Indian jurist, economist, politician and social reformer who inspired the Dalit Buddhist movement and campaigned against social discrimination towards the untouchables (Dalits), while also supporting the rights of women and labour. He was independent India's first law and justice minister, the architect of the Constitution of India, and a founding father of the Republic of India. In India and elsewhere, he was often called Babasaheb, meaning "respected father" in Marathi and Hindi.

Tuesday, April 6, 2010

Saturday, March 6, 2010

Monday, February 22, 2010